likh Kuch Apni - लिख कुछ अपनी - Hindi Poem - Lafzghar

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Thursday, November 17, 2016

likh Kuch Apni - लिख कुछ अपनी - Hindi Poem

Likh Kuch Apni - लिख कुछ अपनी - Hindi Poem

likh kuch apni - hindi poem - rahulrahi.com


निकाल कुछ पल ऐ दिल,
लिख दास्ताँ अपनी,
यादों की स्याही घोल,
फुरसत की कलम अपना |

खोल तिजोरी सपनों की,
रंग बिखेर बचपन के,
उड़ा छटा जवानी की,
खुशियों के अफ़साने बाँध |

दर - दर भटके शहरों में,
कुछ सिक्कें कमाने को,
रूह जलाए और तन भी,
किसके लिए ये दौलत है ?

रोगों का पिटारा लेकर,
देह तेरी तड़पती है,
ऊँचा उठने का वो जुनून,
छिन गया सुकून सब |

खुद ही फँसता जाता है,
झूठे हँसता जाता है,
वक्त निकलता जाता है,
हाथ धरे फिर रोता है |

इसीलिए तो कहता हूँ,
खुद को जान, दिल में झाँक,
धड़कन में जो कैद पड़ी,
लिख दास्ताँ अपनी,
यादों की स्याही घोल,
फुरसत की कलम अपना |

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1 comment:

  1. बहुत ही अच्छा प्रयास है राहुल जी।

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