A Real Friend - पक्की सहेली - Hindi Short Story - Lafzghar

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Saturday, May 27, 2017

A Real Friend - पक्की सहेली - Hindi Short Story

Pakki Saheli - Hindi Story - Rahulrahi.com


"तुम्हे लगता है तुम सही कर रही हो?"
"हाँ माँ।"
"खुश रहोगी?"
" हाँ माँ।"
"पर लोग क्या कहेंगे?"


इस बार बेटी को चिढ़ नहीं हुई ये सवाल सुन कर, इसलिये सहजता पूर्वक बोली -
"माँ कब तक सोचेंगे हम ये? बचपन से सुनती आ रही हूँ। बचपन में जब नहाने में आना कानी करती थी,  तब भी तुम यही कहती थी, जैसे मेरे शरीर का साफ रहना उनके लिये जरूरी हो।"
"वो तो तुम्हे मनाने का तरीका था "
"अच्छा! और अब?"
"अब ??"

बस यहीं से सारी समस्याएं शुरू हो गई। लोग क्या कहेंगे? जाने उस मुस्कुराहट को क्या कहते हैं। उसी मुस्कुराहट के साथ, माँ का हाथ थाम, वो माँ के सवाल पर सवाल कर बैठी।

"जब तुमने मुझे अकेले पालने का निर्णय लिया था। तब तुमने क्यो नहीं सोचा माँ, कि लोग क्या कहेंगे ?"
माँ चुप रही, और वो बोलती रही
"तुमने मुझे काबिल बनाया। तब क्यो नही डरी तुम? प्रेम विवाह किया मैने, वो भी अपनी उम्र से छोटे लडके से! तब क्यो नहीं डरी तुम ?"

थोङा गुस्ताखी भरा था सवाल पर मुस्कुराहट ने पूरा साथ दिया। माँ के माथे पर थोङी शिकन आई।
माथे पर हाथ फेरते हुए- "बोलो माँ, तब तुमने क्यो नहीं सोचा? क्या तुम्हे लोगो ने डराया नहीं? तब तो तुमने कुछ नही सोचा माँ! अब क्यों सोचती हो?"

"तुम्हें  खोना नही चाहती थी, तुम्हारी फिक्र थी और प्रेम भी। तुम्हारी खुशियाँ ही सबकुछ है मेरे लिये, मेरे पास सिर्फ तुम हो मेरी जिम्मेदारी, मेरी बेटी, मेरा प्यार।"

उसने कुछ प्यार से माँ की नज़रों में नज़रें डालकर कहा,
"माँ! मेरे पास भी तो सिर्फ तुम हो, मेरी पक्की सहेली।"
बाहर से गाड़ी की आवाज सुनकर  - "माँ गाड़ी आ गई, सामान रखवाएँ।"
"दामाद जी, और उनके घर वाले क्या सोचेंगे?"
"ये तुम अपने दामाद से क्यो नहीं पूछ लेती? वैसे पीछे पलट कर देख क्यो नही लेती तुम तुम्हे लेने कौन आया है?"
और पीछे से आवाज आई "अब बेटे के घर रहना पसंद करेंगी आप या अपनी पक्की सहेली के?"

1 comment:

  1. Heartwarming conversation between mother and Daughter !

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