जागो जागो भारत भाई,
देर शाम एक खबर है आई,
काले धन का लगा है खोट,
बंद बड़े सब होंगे नोट,
पाँच सौ और रुपया हज़ार,
रहा ना उनका अब बाज़ार,
लेने दौड़े रुपए सौ,
ए टी एम की बारा पौ,
गंजे हुए हज़ारी लाल,
सुनकर उनके उड़ गए बाल,
करने लगे वो सब बवाल,
जिनके घर था नकदी माल,
मोदी जी क्या चाल चलाए,
एक तीर से लाखों पाए,
लेकिन उसका क्या हो पाए,
रोज़ कमाए रोज़ जो खाए,
क्या कर पाए ज़रूरतमंद,
हाथ धरे हर बैंक है बंद,
बूढ़ी माँ का लाल बिमार,
रही अनसुनी हाहाकार,
शादी थी जिसकी इस रात,
घर ही रुक गई वो बारात
जैसे आया यह फैसला,
कहने लगे सब बुरा भला,
कुछ ने गाई वाह वाह,
कुछ लोगों की निकली आह,
ईमानदार ने पाई ख़ुशी,
बेईमान सब हुए तबाह,
यह बसंत का है बदलाव,
काले धन को वापस लाओ,
भ्रष्टाचार और आतंकवाद से,
बिना लड़े ही मुक्ति पाओ ।
Sahi hai bro..nice poem....I enjoyed. Keep it Up....
ReplyDeleteHey Rahul.... Awesome yaar...
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