Ek Tees - एक टीस - HINDI POEM - Lafzghar

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Tuesday, November 29, 2016

Ek Tees - एक टीस - HINDI POEM


दे ज़ख्म और दे दर्द भी,
तू रोग और तू मर्ज़ भी,
तू ही दुआ तू ही दवा,
तू साँस और मैं जी रहा,

एक टीस गहरी आह की,
हमने चुनी वो राह थी,
दुनिया की ना परवाह की,
हमको जँची आवारगी ।


हर रोज़ आए ख्वाब में,
सोने नहीं दे रात में,
आँसू भरे हैं आँग में,
सपने पड़े हैं राख में,

चलता रहे मीलों तमाम,
पहुँचे नहीं कोई मुकाम,
हर रास्ते का वो ही नाम,
सोचे चलें या ले आराम ।


अब ज़िन्दगी चलाएगी,
या मौत पहले आएगी,
फिर स्वर्ग में बहलाएगी,
या नर्क लेकर जलाएगी,

ढूँढे ठिकाना ये हवा,
उसको मिला ना हमनवा,
पर्वत ने जाने क्या कहा,
भिड़ती रही वो ख्वामख्वा ।


टुकड़े नहीं होते अगर,
पहचानता जो रूह घर,
इतना ना होता ग़म मगर,
सीना चले धड़के है सिर,

बारूद वाली स्याही है,
हर लफ्ज़ को जलाई है,
कागज़ पे जो चलाई है,
वो दास्ताँ बन पाई है ।


वो दास्ताँ ज़िन्दगी मेरी,
वो दर्द वो बंदगी मेरी,
वो खुद - खुदा लिखता ग़ज़ल,
मुझे कर विदा कर दे कतल ।

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