Yaad hai wo Gulmohar - याद है वो गुलमोहर - Hindi Poem - Lafzghar

Breaking

BANNER 728X90

Tuesday, May 30, 2017

Yaad hai wo Gulmohar - याद है वो गुलमोहर - Hindi Poem

Yaad hai Vo Gulmohar - Hindi Poem by Apoorv Pareek - rahulrahi.com

याद है तुम्हें वो गुलमोहर!! जिसकी आंखें नम थी उस दिन और सिले हुए लब थे। याद है तुम्हें वो गुलमोहर !!जिसके नीचे हम आख़िरी बार मिले जब थे।।

याद है तुम्हें वो गुलमोहर!!
जिसके नीचे हम, पहली बार मिले जब थे।
उसके तने को छूकर जब, पहली कसम वो खायी थी।
एकदम से तब देख हमें, वो गोरैया मुस्काई थी।।
वो गुलमोहर बना था जैसे, पहली निशानी प्रेम की,
कैसे तुम ओट में उसके, छिपकर यूँ शर्मायी थी।।
वो गुलमोहर, जिस पर ताज़ा फूल खिले तब थे।
जिसके नीचे हम पहली बार मिले जब थे।।

बदलते वक़्त के साथ तुमसे तो मिलते रहे हम।
बस मुलाक़ात उस गुलमोहर से फिर ना हो पायी।।
फूल झड़ते रहे और मौसम बदलते रहे।
इंतज़ार में गौरैया भी कई दिनों तक ना सो पायी।।

याद है तुम्हें वो गुलमोहर !!
जिसके पत्तों से छनकर आती धूप में भी गिले अब थे।
जिसके नीचे हम पहली बार मिले जब थे।।
शीतित कालचक्र में रिश्तों पर जब पड़ने लगा पाला।
कैसे एक दूजे के बग़ैर हमने एक दूजे को संभाला ।।
लौटे तुम एक दिन जैसे क्षणिक विचार की भाँति।
हमने भी एक और दिन विरह को जैसे तैसे टाला।।
अंतिम जब संवाद हुआ तो साक्षी बना फिर गुलमोहर।
बुझते रिश्ते को अग्नि दे वो घृत बना फिर गुलमोहर।।
ना कोई फूल खिला था उस दिन, ना कोई गौरैया थी।
अकेला था एक रिश्ता और था अकेला गुलमोहर।।

याद है तुम्हें वो गुलमोहर!!
जिसकी आंखें नम थी उस दिन और सिले हुए लब थे।
याद है तुम्हें वो गुलमोहर !!
जिसके नीचे हम आख़िरी बार मिले जब थे।।


शीतित - ठण्ड में अकड़ा हुआ।
घृत - तर किया या सींचा हुआ।

No comments:

Post a Comment