चैन से हम सोते हैं हम, अपने घरों में,
क्योंकि जागते रहते हैं वो, बंकरों में,
क्योंकि जागते रहते हैं वो, बंकरों में,
चौकन्ने रहते हैं वो, जैसे कोई ध्यानी,
अपने विचारों के प्रति, सजग हर घड़ी,
बिन जाने पहचाने ही वो, सच्चे धर्मी हैं,
जब से पहनी खा कसम, हिम्मत की वर्दी है,
देश का हर एक शख्स उनका, अपना परिवार है,
यही सोच लेते हैं वो, सीने पर वार है,
फिर भी सोचो आखिर क्या, हमने है उन्हें दिया,
गोद माँ की हुई सूनी, पत्नी हुई बेवा,
आज़ादी के दिन थोड़ी याद फरमाते हैं,
लड़कर हुए शहीद पर तिरंगा चढ़ाते हैं,
बस ! तिरंगा चढ़ाते हैं |
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