हर दुनिया हो ऐसी - Lafzghar

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Wednesday, February 3, 2016

हर दुनिया हो ऐसी

Hindi Poem


शामें हो सोने में रम,
रातें मख़मल सी मद्धम,
धूप खिले कोमल रेशम,
हर दिन हो बस ऐसा ही ।

ख़ुशियों का घर हो चहरा,
ख़्वाबों पर ना हो पहरा,
हर दिल प्यार बसे गहरा,
हर इंसान हो ऐसा ही ।

झूठ कपट ना आए पास,
कोई ग़म ना हो हमखास,
सच्चाई की रहे सुवास,
हर एक मन हो ऐसा ही ।

यारी एक ही रिश्ता हो,
खुदा ही धड़कन बसता हो,
हर एक जान फ़रिश्ता हो,
हो हर दुनिया ऐसी ही ।

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