।। लिखना - पढ़ना देन है उसकी ।।
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एक बार की बात है... |
लिखना - पढ़ना देन उसकी,
जिसने बनाई ये दुनिया,
पढ़ना फितरत उसकी है,
जो दुनिया में है जीता ।
लिखते हुए न जाने कई,
किरदार नए लिख देता है,
पढ़ते रह जाते हम - तुम,
दिल से वाह ! निकलता है ।
सच कहता हूँ यारों मै,
मैं एक लफ्ज़ न लिख पाया,
जब से पढ़े है ढाई आखर,
तब से है लिखना आया ।
लिखने वाले भी उसमे,
पढनेवाले भी उसमे,
जो है लिखा वो भी उसमे,
जो न लिखा वो भी उसमे ।
इसीलिए तो कहता हूँ,
लिखना - पढ़ना देन है उसकी,
जिसने बनाई ये दुनिया ।
।। धन्यवाद ।।

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