Zara Dekh - ज़रा देख GAZHAL - Lafzghar

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Wednesday, June 1, 2016

Zara Dekh - ज़रा देख GAZHAL



मिट्टी में ख़ुशबू अनेक,
झाँक ज़रा और भीतर देख,

माना धरती है एक माँ,
फिर भी टुकड़े किए हैं देख,

मार काट की जंग अनेक,
लाल रंग की होली देख,

चार रोज़ के राही सब,
फिर भी तेरा मेरा देख,

राम कटोरा दे लौटा,
कब तक पकड़ा रखेगा देख,

रूह सायनी रुके ना रानी,
एक दिन फुर हो जाए देख,

हाथ मले रह जाए मनवा,
सभी धरा रह जाए देख,

गाए मन जो अमन की भाषा,
परम वही धन पाए देख,

मिट्टी में ख़ुशबू अनेक...

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