Is that flower too - क्या वो फूल भी... - Hindi Poem
एक रात, उस फूल की ओर देखकर,
एक ख़याल दौड़ा आया,
क्या तुम भी आँखें मूंदकर, सो जाते हो रात में,
या फिर बदलते हो करवट, ख्वाबों की बारात में ।
क्या तुम प्रेम में पड़ते हो, उस भँवरे के जो आता है,
खिला तुम्हारी पंखुड़ियाँ, रंग और रोशन कर जाता है ।
क्या ग़म भी आहट देता है, जब कोई तोड़ के पड़ोसी को,
और रोती हो सब पत्तियाँ, मायूसी घेरे लताओं को ।
या फिर होता है कोई उत्सव, जब कोई कली खिल आती है,
हर ओर हो नृत्य हवाओं का, खुशियों की लहर छा जाती है ।
क्या तुम भी मेरी तरह गुज़रते, संसारी तूफानों से,
या चुपचाप सा एक ध्यानी, बैठे खिले बागानों में ।
बस यही ख़याल के साथ ही, एक ख्वाब संदेसा लाया है,
अब यह समय है सोने का...
अब यह समय है सोने का...
No comments:
Post a Comment