एक उम्मीद का दरिया हूँ, कश्ती हूँ, किनारा हूँ,
दिन में सूरज रात में चाँद, वो आकाश तुम्हारा हूँ ।
जंग सा हूँ और प्यारा भी, जीता कभी मैं हारा हूँ,
मंज़िल पाने निकला हूँ, एक राही आवारा हूँ ।
जज़्बातों के बागों में पल पल महकी एक ज़ारा हूँ,
चूक ना जाना ये लम्हा ना मिलता कभी दोबारा हूँ ।
साथ - साथ जो चले कोई तो, काबिल एक सहारा हूँ,
बाप के कंधे चढ़ आया, एक माँ की आँख का तारा हूँ ।
एक राही आवारा हूँ |
एक राही आवारा हूँ |
No comments:
Post a Comment