हर हवा की आहट पर,
लगता है,
कोई गाड़ी आई है,
वो गाड़ी मेरे यार की,
रास्ते पर बैठे मैंने,
कभी किसी का,
इंतज़ार किया नहीं,
पर आज कई घंटों से,
धूप की निगरानी और,
बादल की पनाह में,
मैंने इंतज़ार किया उसका,
वादा किया था कल उसने,
सुबह भी किया था याद,
साढ़े दस के आस - पास,
गाड़ी से वो आएगा,
आती है बस आस उसके,
आने की कहाँ है वो,
ज़रूरत मुझे - उसे भी है,
लेकिन वो बड़े क़द का,
बरसों से इस काम का,
मंझा हुआ खिलाड़ी है,
मैं हूँ नया अभी खिला,
अनजाना इस खेल में,
लेकिन क्या मुझे उससे,
दो दिन का बस उसका काम,
आए और कर जाए वो,
ले जाए जो उसका दाम,
बिजली की मुझे ज़रूरत,
और उसको है पैसों की,
बिजली आए,
तो इस गाँव की,
बदलेगी दुनिया दारी,
बिजली का व्यापारी वो,
और मैं उसका आभारी ।
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