हम सब हिस्से, क़िस्से के,
उन क़िस्सों की कहानी एक,
हर दिन का हर एक पन्ना,
कुछ ख़ुशियों का, कुछ ग़म का ।
कोई ना जाने जीवन की,
राह कहाँ ले जानी है,
पकड़ ना पाया कोई मन,
जीवन बहता पानी है ।
फिर भी सब सारे जीते,
भूत - भविष्य की छत नीचे,
भटक रहे आगे आगे,
वर्तमान ठहरा पीछे ।
है अनजान सा यह मेहमान,
क्या लाया क्या ले जाए,
सब रह जाए धरा - धरा,
बस एक क़िस्सा रह जाए...
सब हिस्से उस क़िस्से के....
सब हिस्से उस क़िस्से के...
Super like Rahul
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