परी के पापा - hindi poem - rahulrahi - Lafzghar

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Friday, May 29, 2015

परी के पापा - hindi poem - rahulrahi

नन्ही सी एक परी,
गाउँ मैं उसकी कहानी,
ना राजा है ना रानी,
फिर भी कोई तो है ।
छोटी छोटी बातें हैं
सबकी है जानी मानी,
तुमको है सुनानी,
जिसमे कोई तो है ।
उड़ती ना थी, परी जब,
पापा की गोदी, दुनिया उसे,
घुमाती थी,
नींद ना आए जो, रातों को,
पापा की, लोरी उसे,
ख्वावों की दुनिया दिखाती थी ।
डर जाती थी, जब भी परी,
पापा उसे, हाथ पकड़कर
देते थे दम,
आने ना देते थे, आंसू कभी,
खुशियाँ थी संग, दूर...था,
हर एक गम ।
वो ही ज़मीं, वो ही आसमाँ,
कोई पूछे, खुदा है कहाँ,
कहती थी हँसके,परी सबसे,
वो है मेरे पापा ।

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