मेरा मन - Lafzghar

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Thursday, July 28, 2011

मेरा मन



एक बात मेरे साथ कहो,                                          
हर पल रहने लगी है क्यूँ,
फुर्सत के चंद लम्हों को,
देखो है तरसे मेरा मन || 

रहा अनाड़ी सा पागल,
ना जाने कितनी सदियों से,
बेकार की सारी ख्वाहिश में,
उलझा है अब भी मेरा मन ||

वो चीज़ है क्या जो है पाना,
पर सच सबका आना जाना,
मीलों का रास्ता गुज़र चुका,
क्यों थका नहीं ये मेरा मन ||

जीतना चाहता था सब कुछ,
खुद को ही हर पल खोया,
हाथ ना कुछ आया रोया,
फिर भी दौड़े है मेरा मन ||


1 comment:

  1. hum sabhi k paas ek man h....so us man k liye...ye lafz h

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