जागतिक डाक दिन – WORLD POST DAY
सोचिए अगर रगों में खून बहना धीरे - धीरे थम जाए या पूरी तरह से बंद हो जाए तो क्या होगा ? आप इतना सोचने से पहले परलोक सिधार गए होंगे | कहने - सुनने को कुछ बचेगा ही नहीं | आज टेक्नोलॉजी के युग में हमारे समाज की एक रक्त वाहिनी धीरे - धीरे बंद होती जा रही है | ऐसी रक्तवाहिनी जो हमारे समाज में खुशियाँ फैलाती, एक - दुसरे को जोड़ती, अपनेपन को बाँधे रखती और भी बहुत कुछ | यह है भारतीय डाक |

जागतिक डाक दिन (World Post Day) के अवसर पर मुझे मौक़ा मिला अपने डाक बंधुओं से मिलने का | उन्हें धन्यवाद देने, उनके कार्य के प्रति कृतज्ञ होने का जो सेवा वह इस समाज को देते हैं | मैं अपने परिवार (अनाम प्रेम परिवार) के साथ वहाँ गया | खाकी गणवेश धरे उन मानव सेवार्थियों की ख़ुशी का ठिकाना ही ना रहा | उन्हें याद था कि प्रतिवर्ष कोई उनसे भेंट करने आता है |
एक धन्यवाद देने के लिए किसी धर्म, जात पात, अहोदे या किसी पार्टी की ज़रूरत नहीं । कर्मचारियों के मुख्य ने हमसे कहा कि हमें इस बात से बड़ी खुशी एक सहारा मिलता है कि कोई तो है जो हमारे कार्य को महत्त्व देता है, हमारी परवाह करता है । शुभेच्छा पत्र देते वक्त एक बहन ने मुझसे कहा कि आप अनाम प्रेम से हो ना मुझे याद है पिछले साल का कार्ड । हाँलाकि मैं वहाँ किसी अपेक्षा से नहीं गया था फिर भी बदले में वहाँ के कर्मचारियों का प्रेमपूर्ण अभिवादन मेरे सीने में विस्फोट सा कर रहा था । ऐसा विस्फोट जो हजारों बमों से ज़्यादा शक्तिशाली लेकिन फिर भी ज़िन्दगी देनेवाला, शायद यही वह अद्भुत आनंद है जिसके लिए हर कोई इस धरती पर एक खोज में है । फोटो खिंचवाते वक्त भी वे सारे एक सहज भाव से हमारे पास आ गए और जाते वक्त हमें बिलकुल अपने रिश्तेदारों की तरह हमसे फिर आने का वादा लिया | मुंबई ही नहीं बल्कि भारत के लगभग सभी शहरों व अंतर्राष्ट्रीय डाक मुख्यालयों में भी अनाम प्रेम द्वारा शुभेच्छा पत्र भेजे गए |
मानव का मानव से जुड़ने का इससे सहज व सरल तरीका और क्या हो सकता है | जो भी आपके आस पास आपकी सेवा करता दिखे, उसे धन्यवाद ज़रूर दें, आप पाएँगे कि आपकी चेतना में विस्तार हुआ है | ऐसे ही आप लोगों से और लोग आपसे जुड़ पाएँगे, धीरे धीरे ही सही ऐसे ही भारत जुड़ेगा ।
Really awesome post bro.... 👌 keep on moving... ALL THE BEST...👍
ReplyDeleteGood Article on postal day.
ReplyDelete