कोई सोच न रहे - Lafzghar

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Monday, November 18, 2013

कोई सोच न रहे

बेहोश हूँ बेहोशी में,
उठा रहा हूँ हर कदम,
मौत का हाथ है एक हाथ में,
दूजे हाथ में रखा जनम,
सोच सोच में बीत रहा,
सदियों का मेरा लम्हा,
रिश्ते पोंछ के एक पल में,
मुझको कर वो गया तन्हा,
आँसू की भी जगह नहीं,
पोली राहें तबाह हुई,
धुंधले सपने टूट रहे,
सारे पलक से छूट रहे,
थोड़ा होश जो बाकी है,
उसमे भी दे आग लगा,
रोया रोया काँप रहा,
नस नस खून भी अकड़ पड़ा,
फिर भी करूँ मैं यही दुआ,
मेरी सुन न मेरे खुदा,
ऐसी ढूंढ में ढाल मुझे,
खोज ना रहे,
मन से कर दे दूर मुझे,
होश न रहे, कोई सोच ना रहे ।

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