समंदर ठहर गया सा है,
बादल बैठे हैं एक सम्त,
फ़लक ज़मी से है जुड़ गया,
क्षितिज की कोई जगह नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।
खो गया सब खो गया रब,
किसकी इबादत करूँ अभी,
ऐसा हुनर है सिखा दिया,
कोई हुनर अब बचा नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।
अक्सर रूठ के बैठा था,
या खुद से छुट के बैठा था,
मुझको ऐसा तोड़ दिया,
टूटना अब कुछ बचा नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।
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