मैं नहीं तू नहीं... - Lafzghar

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Tuesday, September 10, 2013

मैं नहीं तू नहीं...

समंदर ठहर गया सा है,
बादल बैठे हैं एक सम्त,
फ़लक ज़मी से है जुड़ गया,
क्षितिज की कोई जगह नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।

खो गया सब खो गया रब,
किसकी इबादत करूँ अभी,
ऐसा हुनर है सिखा दिया,
कोई हुनर अब बचा नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।

अक्सर रूठ के बैठा था,
या खुद से छुट के बैठा था,
मुझको ऐसा तोड़ दिया,
टूटना अब कुछ बचा नहीं,
मैं - मैं नहीं... तू - तू नहीं...।

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